फैटी लिवर को जल्द ठीक करने के लिए असरदार आयुर्वेदिक उपाय
फैटी लिवर एक ऐसी बीमारी है जो की हमारे ख़राब जीवनशैली का दुष्परिणाम है| आज कल जो हम ख़राब आहार खाते है, अत्यधिक शराब का सेवन करते है वो सब फैटी लिवर जैसी समस्या का कारन बन सकती है| फैटी लिवर ठीक करने के यूँ तो कई सारे आधुनिक तरीके है पर आज भी कई सारे लोग फैटी लिवर का इलाज करने के लिए आयुर्वेदिक उपचारो पे भरोसा करते हैं| इस ब्लॉग में हम आपको बताएँगे ऐसे ही कुछ उपचारो के बारे में|
फैटी लिवर उपचार
फैटी लिवर की समस्या गंभीर हो सकती है पर इसका इलाज आसान है| आयुर्वेद में कई ऐसे दवाइयों का उल्लेख है जो फैटी लिवर जैसी कठिन बीमारियों का इलाज करने में सहायक है, जैसे:
कुटकी
कुटकी एक ऐसी औषधि है जिसका उपयोग आयुर्वेद में लिवर संबंधी समस्याओं जैसी की फैटी लिवर के लक्षण को ठीक करने के लिए किया जाता है। कुटकी का प्रमुख गुण इसके अंदर मौजूद सक्रिय रासायनिक तत्वों है, जो लिवर के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत फायदेमंद हैं। कुटकी लिवर की सफाई करने में मदद करता है, यह यकृत से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होता है। यह यकृत के कार्य को सुधारने, पाचन तंत्र को सुदृढ़ करने और बाइल (पित्त) के उत्पादन को उत्तेजित करने में मदद करता है। इसके अलावा, कुटकी यकृत की सूजन को कम करने और यकृत को मजबूत बनाने के लिए भी उपयोगी है। यह एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है, जो लिवर को होने वाली चोटों और संक्रमण से बचाने में सहायक होते हैं।
भूमिआमला
भूमिआमला एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है, जिसे आयुर्वेद में लिवर के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। यह पौधा लिवर के स्वास्थ्य को सुधारने, उसे डिटॉक्स करने और संक्रमण से बचाने में मदद करता है। भूमिआमला के पत्तों में सक्रिय रासायनिक तत्व होते हैं, जो लिवर की सूजन को कम करते हैं और उसे विषैले पदार्थों से मुक्त करने में सहायक होते हैं। यह हेपेटाइटिस, पीलिया और फैटी लिवर जैसी स्थितियों में बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। भूमिआमला लिवर की कार्यक्षमता को बढ़ाता है, पाचन को सुधारता है, और पित्त के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा, यह एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है, जो लिवर को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं।
भृंगराज
यदि आप गूगल पर फैटी लिवर के लिए आयुर्वेदिक उपायों की खोज करते हैं, तो आपको सबसे पहले भृंगराज का नाम मिलेगा। भृंगराज एक अत्यधिक प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है, जिसे लिवर के स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से फायदेमंद माना जाता है। यह लिवर को सशक्त बनाने और उसकी कार्यक्षमता को बढ़ाने में सहायक है। भृंगराज में कई सक्रिय रसायन पाए जाते हैं, जिनमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शामिल हैं। ये गुण लिवर को विषाक्त पदार्थों से साफ करने, सूजन को कम करने और उसकी रक्षा करने में मदद करते हैं। इसके उपयोग से लिवर के टिश्यू की मरम्मत और पुनर्निर्माण में सहायता मिलती है, जिससे हेपेटाइटिस, पीलिया और फैटी लिवर जैसी बीमारियों से राहत प्राप्त की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, भृंगराज पाचन तंत्र को मजबूती प्रदान करता है और पित्त (बाइल) के उत्पादन को संतुलित करने में भी मददगार हो सकता है। इसके नियमित सेवन से लिवर का स्वास्थ्य बेहतर होता है और संपूर्ण स्वास्थ्य को भी लाभ मिलता है।
निष्कर्ष:
फैटी लिवर एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन आयुर्वेदिक उपायों से इसे जल्द ठीक किया जा सकता है। ऊपर बताए गए उपायों के साथ-साथ संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना भी जरूरी है। यदि लिवर की स्थिति गंभीर हो, तो किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।
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